चीन को विवादों में उलझाए रखा और खुद चल दी बड़ी चाल, 45 सालों में पार्टी का पहला चेयरमैन बनने की ओर जिनपिंग

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले कुछ महीनों से भारत समेत अपने अन्य पड़ोसी देशों के साथ लगातार उलझ रहे हैं। चीन का भारत से लद्दाख में सीमा विवाद चल रहा है तो वहीं, नेपाल और ताइवान से भी ड्रैगन के विवाद किसी से छिपे हुए नहीं हैं। लेकिन इन सबके बीच जिनपिंग खुद को चीन की कम्युनिष्ट पार्टी (सीपीसी) का चेयरमैन बनाने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि इस महीने के आखिर में कम्युनिष्ट पार्टी की सेंट्रल कमेटी नए रेग्युलेशन को मंजूरी दे सकती है, जिससे राष्ट्रपति जिनपिंग पार्टी के शीर्ष पैनलों की बैठक के एजेंडे को निर्धारित करेंगे।


इस मामले से परिचित लोगों ने कहा कि यह शक्ति राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए खुद को एक बहुत बड़ा प्रोत्साहन देने वाली प्रतीत होती है, जो उन्हें चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक पिता माओत्से तुंग के बराबर खड़ा कर देगी। माओ पार्टी के इतिहास के एकमात्र नेता हैं, जिन्हें चेयरमैन के तौर पर नामित किया गया था। नई दिल्ली में चीन पर नजर रखने वाले ने कहा, 'ऐसा मालूम चलता है कि जिनपिंग ने अपनी ताकत को और ऊपर बढ़ाने का फैसला किया है।'


अगर ऐसा ही होता है तो राष्ट्रपति जिनपिंग सीपीसी के पिछले 45 सालों में पहली बार चेयरमैन बनने वाले नेता होंगे। वहीं, माओ की तरह ही जिनपिंग पहले से ही पीएलए (चीनी सेना) के कमांडर इन चीफ और मिडिल किंग्डम के सर्वोपरि नेता के रूप में काबिज हैं। अक्टूबर 2017 में, जिनपिंग माओ के बाद इकलौता दूसरे नेता बने थे, जो पद पर रहते हुए पार्टी की एक समान विचारधारा वाले थे। वहीं, इस साल, उन्होंने शी जिनपिंग रिसर्च सेंटर फॉर डिप्लोमैटिक थॉट भी खोला था।